।। दोहा ।।
चलता दीखे ना चंद्रमा , बढ़ती दीखे ना बेल ।
साधु सुमिरता दीखे नहीं , ये कुदरत का खेल ।।
!! हुई सफल कमाई महाराज / थारी सफल कमाई महाराज भर्तृहरि थारी !!
हुई सफल कमाई महाराज , भरतरी ओ थारी , भरतरी थारी ।
मालिक रे कारण जोग फकीरी धारी , ईश्वर रे कारण जोग फकीरी धारी ॥
राजा सूतो रे महल के माँय , तृष्णा जागी , तृष्णा ओ जागी ।
ज्यांने मिल गया गोरखनाथ , भरमना भागी ।।
.... हुई सफल कमाई ....
राजा गयो जंगल रे माँय , लगा रयो हेला , लगा रयो हेला ।
ज्यां ने मिल गया गोरखनाथ , मूड लिया चेला ।।
.... हुई सफल कमाई ....
राजा जावो रे महल के माँय , लगा आवो फेरी , लगा आवो फेरी ।
पिंगळा ने कहिजो मात , करो मत देरी ॥
.... हुई सफल कमाई ....
राजा गया रे महल के माँय , लगा आयो फेरी , लगा आयो फेरी ।
भिक्षा घालो पिंगळा मात , मत करो देरी ॥
.... हुई सफल कमाई ....
राणी खड़ी महल रे माँय , लटिया तोड़े , लटिया तोड़े ।
राजा एक दिन पकड्यो हाथ , प्रीत मत तोड़े ।
.... हुई सफल कमाई ....
राणी खड़ी ड्योढ़ी के बीच , कळप रही काया , कलप रही काया ।
थारा मरजो गोरख नाथ , राज छुड़वाया ॥
.... हुई सफल कमाई ....
राणी मत दे गुरुने दोष , करम गति न्यारी , करम गति न्यारी ।
म्हारे विधाता लिखिया लेख , टरे नहीं टारी ॥
.... हुई सफल कमाई ....
एक सोहन शिखर रे बीच , सांकड़ी सेरी , सांकड़ी सेरी ।
ज्याने गावे जरणानाथ , भजन रा ओ लहरी ॥
.... हुई सफल कमाई ....
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