सुनो रे मन उन संतन की वाणी | Suno Re Man Un Santan Ki Wani

।। सुनो रे मन उन संतन की वाणी ।।


करक चोट कलेजे भीतर , चमक उठे जिन्दगानी ।।

सुनो रे मन ....


मानुष जैसा मानुष दिखे , कौन लखे वाकी वाणी । 

चाह नही चिन्ता नही मन मैं , चाल - चले मस्तानी ।।

सुनो रे मन ....


स्वार्थ छोड़ जगत की सेवा , सुमिरण सारंग पाणी ।

हरि सुमीरण से मेरा जियरा ऊमंगे , संत कहो चाहे ज्ञानी ।।

सुनो रे मन ....


राग न द्वेष ना लेस किसी से , सबसे बढ़कर दानी ।

आदरमान करे ओरन को , आप बने अमानी ।।

सुनो रे मन ....


क्या जाने विषयन संग भोगी , जो मोह पाप लिपटानी ।

स्वामी हरिदास हरि का प्यारा , जो हरि में सुरति समानी ।।

सुनो रे मन ....

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