!! दादूराम दादूराम दादूराम कहिये !!




दादूराम दादूराम दादूराम कहिये ,

जाहिं विधि राखे राम ताहिं विधि रहिए ।

मुख में हो दादूराम राम सेवा हाथ में ,

तू अकेला नांहिं प्यारे राम तेरे साथ में । 

विधि का विधान जान हानि लाभ सहिये ,

जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिये ।

किया अभिमान तो फिर मान नहीं पायेगा,

होगा प्यारे वही जो श्रीरामजी को भायेगा।

फल आशा त्याग शुभ काम करते रहिये ,

जाही विधि राखे राम ताहि विधि रहिये ॥

जिन्दगी की डोर सौंप हाथ दीनानथ के ,

महलों में राखे चाहे झोंपड़ी में बास दे । 

धन्यवाद निर्विवाद दादूराम कहिये ,

जाहि विधि राखे राम तहि विधि रहिये ।

आशा दादू राम जी से दूजी आशा छोड़ दे ,

नाता श्रीदयाल जी से दूजा नाता तोड़ दे।

विषय वासना त्याग शुभ काम करते रहिये ,

जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिये ।

साधु- संग राम-रंग , अंग-अंग रंगिये ,

काम रस त्याग प्यारे , राम रस पीजिये । 

दादूराम दादूराम , दादूराम कहिये ,

जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिये ।


भावार्थ - संत श्री दादू दयाल जी महाराज कहते हैं कि परमात्मा का नाम ही मोक्ष का साधन है और परमात्मा की रजा में राजी रहना ही वास्तविक जीवन है ! जिस प्रकार परमात्मा रखते हैं उसी प्रकार रहना चाहिए और हरदम मुंह से राम नाम निकलता रहे और तन से सेवा होती रहे ! एक बात हमेशा याद रहे कि इस जीवन में हम अकेले नहीं है हम उस परमात्मा के अंश हैं वह हर क्षण हमारे साथ रहता है ! हानि और लाभ को विधि का विधान मानकर स्वीकार कर लेना चाहिए ! इस बात का हमेशा ख्याल रहे कि हमें अभिमान ना हो पाए हमेशा मन मे यह बात रहनी चाहिए कि जो हो रहा है जो करने वाला है वह परमात्मा है हम सिर्फ निमित्त मात्र है ! फल की आशा किए बिना शुभ कर्म करते रहना चाहिए ! जिंदगी की डोर हमेशा परमात्मा के हाथ में रखनी चाहिए ! परमात्मा चाहे महलों में रखें चाहे झोंपड़ी में रखें हमेशा परमात्मा का धन्यवाद करना चाहिए और उसकी मर्जी में रहना चाहिए ! अपेक्षा एकमात्र परमात्मा से रखनी चाहिए बाकी दुनिया से ना अपेक्षा रखनी चाहिए और ना ही कोई वास्तविक संबंध ! विषयों का वासनाओं का त्याग कर देना चाहिए और साधुओं का संग करो कामवासना को त्याग कर राम के रस में रम जाओ इसी प्रकार दादूराम दादूराम कहते-कहते अपना कल्याण हो जाएगा !!